🙏प्रिय आदरणीय कुंभार सर,
सादर प्रणाम |
आप हमारे लिये किसी भी सेलेब्रिटी स्टार से कम नहीं थे| यह हमारा भाग्य था कि स. रा. देसाई अध्यापक विद्यालय, रत्नागिरी मे हर एक अध्यापक अपना काम मेहनत और लगन से करते थे और आज भी वह काम निरंतर चल रहा है|
उस समय हर अध्यापक की अपनी एक अलग पहचान थी | उस वक़्त आपने हमे केवल हिंदी अध्यापन कौशल्य सिखाए नहीं उससे अधिक हिंदी का गौरव, छात्र अध्यापक नाते हम कैसे कर सकते है उसका वस्तुपाठ दिखाया |
उस समय आकाशवाणी रत्नागिरी केंद्र से आपके विविध प्रकार के व्याख्यानों का प्रसारण होता था, और कई बार दुसरेही दिन आपका हिंदी पाठ होता था | रेडिओ पर सुनी आवाज प्रत्यक्ष रियल लाइफ मे सुनने को मिलना यह भाग्य आपका छात्र अध्यापक होने से मिला | आपने हिंदी और मराठी मे सीधी साधी और सरल भाषा किताबे भी लिखी है| साहित्यकार, अध्यापक, आकाशवाणी कलाकार.. ना जाने कितने अलग अलग रूप होंगे...|
कॉलेज छोड़ने के बाद आपसे मैं सिर्फ दो -चार बार मिला था | शारदोत्सव के दिन थे | आज जिस जगन्नाथ गंगाराम पेडणेकर माध्यमिक विद्यालय तळवडे मे,मैं शिक्षक हू वहा आप व्याख्यान के हेतु आये थे | वापस रत्नागिरी जाते वक़्त आपका मेरे घर आना, आपकी सेवा करने का मौका मिलना किसी उत्सव से कम न था |
परीक्षा में एक प्रश्न के मार्क्स मिलने के लिए आखरी पत्र हिंदी में लिखा था | आज इस पत्र से बाते करनें की हिम्मत कर रहा|मालूम है इस पत्र में बहुत व्याकरण की गलतिया होंगी, क्षमा चाहता हूं|
आज वास्तव को स्वीकार करना ही होगा, दुनिया के लिए आज आप नहीं रहे| लेकिन आपसे अध्यापक - छात्र का नाता तो अमर रहेगा| आपके सीख पर चलेंगे और आपको गौरव महसूस होने वाला काम करेंगे|
आपका,
प्रकाश हर्चेकर
(17/11/2023)